रिपोर्ट-ऐनूल हक
किसी ने औलाद खो दी, किसी ने जीवन साथी। किसी की कोख में ही उसकी औलाद की कब्र बन गई। किसी के अपने उसकी आंखों के आगे डूब गए। कहीं मासूम परिवार में अकेला बचा, तो किसी के घर से एक साथ कई अर्थियां उठीं…
गुजरात के मोरबी पुल हादसे के बाद हर ओर ऐसे ही मंजर दिखाई दे रहे हैं। जिस मच्छू नदी पर ये पुल बना था, वो अब तक 134 लाशें उगल चुकी है। इनमें मासूम बच्चे हैं, औरतें हैं और बुजुर्ग भी। एक शख्स ने 8 महीने की गर्भवती की लाश देखी और फिर उसकी आंखें ये दहलाने वाला दृश्य भूल नहीं पाईं।
ऐसे ही लोगों ने बताई हादसे की आंखों देखी। पढ़िए
पहली कहानी: पत्नी-बेटे की लाश मिली, बेटी समेत परिवार के 5 सदस्य लापता
मोरबी हादसे में कई परिवार खत्म हो गए हैं। इन्हीं में एक आरिफ भी हैं। आरिफ परिवार के 8 सदस्यों के साथ ब्रिज पर घूमने गए थे। ब्रिज टूटने से सभी लोग नदी में गिर गए। हादसे में आरिफ की जान बच गई, लेकिन पत्नी और 5 साल के बेटे की जान चली गई। वहीं, उनकी बेटी समेत 5 सदस्य लापता हैं।
दूसरी कहानी: यहां 1000 से ज्यादा लोग जमा थे
इस हादसे में 8 लोगों की जान बचाने वाले चश्मदीद ने कहा- यहां हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे। जो तैरना जानते थे, वो तैरकर बाहर आ रहे थे। बच्चे डूब रहे थे, हमने पहले उन्हें बचाया। उसके बाद बड़ों को निकाला। पाइप के सहारे लोगों को निकाल रहे थे।
तीसरी कहानी: गर्भवती की जान गई, जिंदगी में ऐसा नहीं देखा था
दूसरा चश्मदीद बोला- मैं यहां हर रविवार को चाय बेचता हूं। मैंने लोगों को तार से लटके देखा। इसके बाद वे फिसलने लगे। मैं रातभर नहीं सोया। पूरी रात लोगों को बचाने में जुटा रहा। मेरा दिल तब दहल गया, जब मैंने 7-8 महीने के गर्भवती की लाश देखी। मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं देखा था।
चौथी कहानी: हादसे को शब्दों में बयां करना मुश्किल
हादसे के वक्त मौजूद चश्मदीद हसीना ने कहा- मैं हादसे को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। वहां बच्चे भी थे। मैं अपने परिवार के साथ जितने लोगों की मदद कर पाई, मैंने की। मैंने लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए अपनी गाड़ी दे दी। मैंने जिंदगी में ऐसा मंजर नहीं देखा था।
पांचवी कहानी: मंदिर में काम कर रहे थे, 8 को बचाया
हादसे के वक्त एक और चश्मदीद सुभाषभाई ने कहा कि हम पुल के बगल में स्वामीनारायण मंदिर के निर्माण पर काम कर रहे थे। पुल टूटा हुआ देखकर हम लोग तुरंत दौड़े और 8 की जान बचाई। और लोगों को नहीं बचा सके। बड़े लोग पुल की रस्सी के सहारे बाहर निकले, लेकिन छोटे बच्चे नदी से बाहर नहीं निकल पाए।
छठी कहानी: नदी में कूदे पूर्व विधायक कांति
मोरबी के पूर्व विधायक कांति अमृतिया लोगों को बचाने के लिए खुद नदी में उतर गए। इस त्रासदी के बाद कांति ने एक वीडियो जारी कर कहा कि तुरंत लाइटिंग की जाए। कलेक्टर ने उनकी सलाह पर काम किया और रेस्क्यू के लिए इंतजाम किया।
सातवीं कहानी: इतनी मौतें पहली बार देखीं
रेस्क्यू में लगे NDRF कमांडेंट वीवीएन प्रसन्न कुमार ने कहा कि हमने इतनी मौतें पहली बार देखी हैं। अक्सर ऐसा नाव पलटने पर होता है, लेकिन यहां नदी के मटमैले पानी में हमें लोगों को ढूंढने में दिक्कत आ रही है। ढहे हुए पुल के नीचे भी और शव फंसे हो सकते हैं। उन्हें खोजने हम गहरे गोताखोरों की मदद ले रहे हैं।
आठवीं कहानी: आंखों के सामने डूबे 6 परिजन
बेटी की ननद की सगाई में आई हलीमाबेन के परिवार के 6 लोग उसकी आंखों के सामने हादसे का शिकार हो गए। हलीमा ने बताया कि उनकी बेटी-दामाद, दोनों नवासे, हलीमा के जेठ और उनका लड़का झूलतो पुल देखने गए थे, लेकिन उसके टूटने से नदी में गिर गए।
नौंवी कहानी: तार के सहारे बचा रूपेश, बच्चों को बचाने में कीचड़ में डूबी पत्नी
पत्नी और तीन बच्चों को अपनी आंखों के सामने खो देने वाले पति की हालत देखकर पूरे गांव में मातम छाया है। जामनगर जिले के धरोल तालुका के जलिया देवानी गांव में एक परिवार के तीन बच्चों सहित 4 सदस्यों की मौत हुई। रूपेश ब्रिज की केबल पकड़ने से बच गया, जबकि पत्नी तीनों बच्चों को खोजने गई, लेकिन कीचड़ में धंसकर जान गंवा दी।
दसवीं कहानी: अनाथ हो गया 4 साल का जियांश
मोरबी में रहने वाले हार्दिक फलदू पत्नी मिरल और चार साल के बेटे जियांश के साथ रविवार की शाम घूमने निकले थे। शाम करीब 6 बजे तीनों ब्रिज पर पहुंचे और कुछ ही देर बाद ब्रिज टूट गया। तीनों नदी में गिर गए। हादसे में हार्दिक और पत्नी मिरल की मौत हो गई, लेकिन डूब रहे जियांश को किसी ने बचा लिया। जियांश की जान तो बच गई, लेकिन अब उसके सिर पर माता-पिता का साया नहीं रहा।
11वीं कहानी: 6 साल की बहन के साथ फोटो ले रहा था, फिर वो नहीं मिली
एक लड़का अपनी 6 साल की बहन के साथ पुल पर फोटो ले रहा था। पुल गिरा, दोनों नदी में गिर गए। लड़का तो बच गया, लेकिन उसकी मासूम बहन लापता हो गई। हॉस्पिटल में खोजने के बावजूद वह नहीं मिली। अब वह घटना वाली जगह पर बैठकर रोता हुआ अपनी बहन को खोज रहा है।
पूरे मोरबी में मातम का अंधेरा, लोगों ने दिवाली पर लगाई लाइटें बुझा दीं
दिवाली के मौके पर जहां कल तक पूरा शहर लाइटों से जगमगा रहा था। वहीं, रविवार शाम को हुए हादसे ने शहरवासियों को मातम के अंधेरे में डुबो दिया। लोगों ने घरों की जगमगाती लाइटें बंद कर दीं। स्थानीय लोग, स्वयंसेवक, अस्पताल के कर्मचारी, पुलिस, फायर ब्रिगेड सभी बचाव कार्य में लगे रहे।