पन्ना= देश में आदिवासी के मतों पर सरकारे वन रही है। आदिवासी के उत्थान के नाम पर केन्द्र तथा प्रदेश सरकारों द्वारा अनेक योजनाएं संचालित कि जा रही है तथा उक्त योजनाओं के नाम पर भारी-भरकम बजट दिया जाता है। लेकिन उक्त वजट कि राशि गरीब आदिवासीओ को उपलब्ध नहीं हो पाती तथा आदिवासी वर्ग आज भी रोजी-रोटी के लिए मोहताज है। वह लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
पन्ना जिले की स्थिति और भी वतत्तर है जो गरीब वेरोजगारी जुझ रहा है, जिले में समाजिक न्याय विभाग,श्रम विभाग, ग्रामीण विकास, विभाग, अनुसूचित जाति विभाग द्वारा योजनाएं चलाई जा रही है। लेकिन उक्त सभी योजनाएं कागजों तक ही सीमित है। वर्तमान समय में कड़ाके कि भारी ठंड के चलते छोटे छोटे बच्चे महिलाएं सिर पर लकडी का गट्ठा लेकर जिला मुख्यालय पर 10 किलोमीटर दूर से आते हैं। जव उनकी लकड़ी 100,150, में बेचते हैं तव वह अपना राशन पानी ले पाते हैं। वर्तमान समय में भारी महंगाई के चलते रोजी-रोटी चलना वड़ा मुश्किल कि बात है।
ऐसी परिस्थिति में कैसे चले , यह एक बहुत ही गंभीर विषय है। इस ओर सरकार का रवैया अच्छा नहीं है। गरीब दल दल में फसा है। इसी तरह समान्य परिवार कहीं का नहीं है।
जिम्मेदार – राजनैतिक दल, जनप्रतिनिधि, निर्वाचन के समय शराब तथा पैसा लाटकर वोट अर्जित कर लेते हैं। उसके बाद गरीब तथा आमजनता से उनका कोई नाता नहीं रह जाता है। पन्ना जिले में रोजगार के साधन नहीं है। पन्ना में पत्थर, हीरा कि खदाने है । वह भी लगभग बंद कि कगार पर है। आधिकारिक का चाराग्रह है। ऐसी परिस्थिति में लोगो का भगवान ही मालिक है। इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
जिला ब्यूरो चीफ पन्ना
एम, एम, शर्मा,