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*योजनाबद्घ तरीके से लगाया करोड़ों रुपए की राशि को ठिकानें*
*पात्र लोग आज भी लगा रहे हैं तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं मिल पा रहा है मुआवजा दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर*
पन्ना/छतरपुर
छतरपुर जिले के राजनगर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम टिकरी एवंअन्य ग्राम जो रेल्बे अधिग्रहड़ से प्रभावित होने वाली पंचायतों के आसपास के आने ग्रामों मैं रेलवे विभाग के लिए भूमि का भू-अर्जन का कार्य किया जा रहा है मुआवजा में अधिकारीयों की मिलीभगत से रेलवे अधिग्रहण में मुआबजा के नाम पर लाखों करोड़ो रुपए का भ्रष्टाचार किया गया है मुआवजा में राजनगर राजस्व विभाग के कई कर्मचारी शामिल है मुआवजा में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार होने के बाद भी जिम्मेदार कर्मचारी ही शासन की राशि को योजनाबद्घ तरीके से बन्दरबाट करके शासन को करोड़ों रुपए की राशि को ठिकानें लगाया जा रहा है
पात्र लोग आज भी तहसील कार्यालय के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं लेकिन पात्र लोगो को राशि नहीं मिल पा रही है कई आदिवासी परिवार की जमीने ज्यादा अधिग्रहड़ की गई और मुआबजा कम बनाया गया एक ही परिवारों में सेटिंग करके 10 आरे जमीन ख़रीदकर कर्मचारियों के द्वारा तीन दिवस में नामांतरण करते हुए पूरी प्रक्रिया करके कई कर्मचारी मुआवजा में शामिल हो गए है रेल्बे मुआबजा की राशि में बंदरबाट किया जा रहा है पात्र लोग मुआबजा के लिए आज तक दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं राजनगर राजस्व तहसील कार्यालय एवं एस.डीएम महोदय के कर्मचारी मुआबजा मे शामिल है भू अर्जन का काम देख रहे इकबाल अहमद अंसारी के भाई इंसाफ पिता बशीर का नाम शामिल है संदीप तिवारी जो बाबू की पोस्ट पर है उनके भाई सतीश पिता संतोष तिवारी का नाम शामिल है एसडीएम कोर्ट में कंप्यूटर ऑपरेटर एवं आरटीआई प्रभारी का काम देख देखने वाले बाबूजी अजय सिंह पिता भगवत सिंह का नाम शामिल है एसडीएम कोर्ट में राजेंद्र बाबू भार्गव के पुत्र केतन भार्गव का मुआवजा में नाम शामिल है पूर्व में नेशनल हाईवे का मुआवजा में कंप्यूटर ऑपरेटर पर रहे योगेंद्र सिंह पिता पर्वत सिंह निवासी राजनगर का भी मुआवजा में नाम शामिल है इसी प्रकार बमीठा आर. आई रहे शक्तिदीन साहू के रिश्तेदार सीताराम पिता नन्हे साहू का भी इस मुआवजा में नाम शामिल है इस तरह से सभी कर्मचारियों ने मिलजुल कर योजना बनाकर शासन को गुमराह करते हुए शासन की राशि को ठिकाने लगाया है अगर सही तरीके से उक्त मुआवजा में जांच की जाए तो राजनगर तहसील से लेकर छतरपुर कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी तक मुआवजा में शामिल मिलेंगे इस तरह से पूर्ब नियोजित योजना बनाकर पूर्व नियोजित तरीके से जिस तरह से शासन को चूना लगाने का काम जिम्मेदार कर्मचारियों के द्वारा किया गया यह जांच का विषय है लेकिन बात करे एसडीएम साहब की तो कही ना कही साहब की कार्यशैली संदेह के घेरे में है की इतना बड़ा भ्रस्टाचार नाक के नीचे किया जा रहा है जिससे एसडीएम साहब की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है क्योंकि अगर देखा जाये तो पात्र मुआबजाधारी दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है ऐसे कई परिवार हैं जो मुआवजा के लिए दर -दर की ठोकरे खा रहे हैं लेकिन उनको आज दिनांक तक मुआवजा की राशि प्राप्त नहीं हुई है और ना ही उनका नाम शामिल किया जा रहा है कहीं रिकॉर्ड दूरस्थ को लेकर आदिवासी परिवार परेशान है तो कहीं एसडीएम के आदेश का पालन नहीं किया जा रहाहै अब देखना होगा जिला प्रशासन उक्त मामले पर क्या संज्ञान लेता है
पन्ना ब्यूरो चीफ
एम एम शर्मा