छतरपुर जिले का सुप्रसिद्ध रहस्यमयी भीमकुंड का जलस्तर हुआ सामान्य स्थानीय पंडित ने दी विशेष जानकारी

छतरपुर जिले की विधानसभा बड़ामलहरा क्षेत्र का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल भीमकुंड एक अजूबा जलाशय है इसकी गहराई का पता कोई नहीं लगा पाया है यहां क‌ई वैज्ञानिक शोध भी हुए पर आज तक इस रहस्यमई कुंड की गहराई का पता नहीं लगाया जा सका, बाजना में स्थित जंगलों के बीच भीमकुंड जलाशय में देश-विदेश के लोग दर्शन करने आते हैं यहां का नीला स्वच्छ पीने योग्य शुद्ध जल होता है। आश्रम में श्री नारायण संस्कृत विद्यालय लक्ष्मी नारायण के मंदिर के अलावा भीमा देवी का पहाड़ पर मंदिर स्थित है यहां पर साधु संतों का डेरा बना रहता है नारायण संस्कृत विद्यालय ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष शंकर्षणाचार्य महाराज सभी को उपदेश देकर आश्रम की गंभीर बातें बताते हैं महाराज श्री ने बताया कि यहां का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है पांडवों के वनवास के समय भीम ने गदा से प्रहार कर यह भीमकुंड बनाया था जिसके जल से द्रोपदी की प्यास बुझाई थी। यहां लगभग एक सैकड़ा छात्र संस्कृत का अध्ययन करते हैं। यहां पर निःशुल्क संस्कृत की शिक्षा दी जाती है, गरीब अनाथ वे सहारा बच्चों को यहां निःशुल्क शिक्षा के साथ भोजन, आवास, कपड़े, पुस्तक इत्यादि सुविधाएं दी जाती हैं। देश-विदेश में भीम कुंड की पहचान बनी है इलाके में चारों तरफ किसान भाइयों ने अपने-अपने खेतों में ट्यूबवेल लगा लिये है जिसकी वजह से ठंडी भर ट्यूबवेलों से सिंचाई करते हैं जिसकी वजह से भीमकुंड का जलस्तर एक दर्जन फुट से भी अधिक गहरा नीचे चला गया था मगर जैसे ही किसानों ने खेतों की सिंचाई बंद कर दी तभी से जल स्तर सामान्य हो गया है अब देखने योग्य बन गया है। हजारों लोग रोजाना जलस्तर को देखने के लिए यहां पहुंच रहे हैं सरकार भी पर्यटक स्थल बनाने का प्रयास कर रही है यहां पर पार्किंग बना दी गई है बगीचा एवं दुकानों को भी उचित स्थान पर लगवा दिया गया है, यहां के साधु संत महात्मा एवं प्राचार्य, छात्र सभी भीमकुंड के जलस्तर बढ़ने का स्वागत कर रहे हैं।

संवाददाता नीरज चौबे

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