मध्य प्रदेश सरकार पर साढ़े 3 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज: मंत्रियों के बंगले संवारने में खर्च होंगे 18 करोड़ रुपए, एक एक मंत्रियों के बंगले पर 55 से 99 लाख रुपए खर्च होंगे, वित्त समिति ने मंत्रियों के बंगले जीर्णोद्धार की दी मंजूरी*
मध्य प्रदेश में आवंटित बंगलों से नाखुश कई मंत्रियों ने अपने सरकारी आवासों के जीर्णोद्धार की मांग की है। इस जीर्णोद्धार के लिए सरकार अगले कुछ महीनों में करीब 18 करोड़ रुपए खर्च करेगी। गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में बनी नई सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिला है। लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रियों के बंगलों को और आरामदायक बनाने की कवायद तेज कर दी गई है। इसके लिए एक-एक मंत्रियों के बंगले पर 55 से 99 लाख रुपए तक के खर्च हो रहे हैं।
*पीडब्ल्यूडी करेगा यह काम*
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) इस काम को अंजाम देगा। बंगलों के जीर्णोद्धार के लिए राज्य वित्त समिति की मंजूरी और प्रशासनिक मंजूरी मिल गई है। सरकार द्वारा मंत्रियों के लिए पांच करोड़ रुपए की नई एसयूवी का ऑर्डर दिए जाने के बाद यह जीर्णोद्धार किया जा रहा है। पीडब्ल्यूडी की फाइलों में जीर्णोद्धार कार्य को मामूली मूल कार्य बताया गया है। दरअसल, मंत्रियों के बंगलों के जीर्णोद्धार कार्य के लिए पीडब्ल्यूडी मंत्रियों की मांग के अनुसार जीर्णोद्धार कार्यों की सूची तैयार करता है। इसके बाद राज्य वित्त समिति 20 करोड़ या इससे कम लागत वाले प्रोजेक्ट को मंजूरी देती है, जिसके बाद संबंधित विभाग बाकी मंजूरी औपचारिकताएं पूरी करता है और कार्य आदेश जारी करता है।
*इन मंत्रियों के बंगले पर 50 लाख से अधिक खर्च*
मंत्रियों के नाम इतने होंगे खर्च
ऐदल सिंह कंसाना 99 लाख रुपए, कैलाश विजयवर्गीय 91 लाख रुपए, प्रहलाद सिंह पटेल 91 लाख रुपए,
प्रतिमा बागरी 80 लाख रुपए, राकेश शुक्ला 73 लाख रुपए, उदय प्रताप सिंह 82 लाख रुपए, करण सिंह वर्मा 55 लाख रुपए, लखन पटेल 55 लाख रुपए।
*इनके बंगले पर खर्च होंगे 50 लाख रुपए से अधिक*
वहीं, जिन मंत्रियों के बंगलों का जीर्णोद्धार 50 लाख से अधिक लागत से होना है, उनमें करण सिंह वर्मा, लखन पटेल, उदय प्रताप सिंह, प्रतिमा बागरी, कैलाश विजयवर्गीय, ऐदल सिंह कंसाना, राकेश शुक्ला और प्रहलाद पटेल शामिल हैं। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने बताया कि अन्य मंत्रियों के बंगलों का भी जीर्णोद्धार कार्य प्रस्तावित है, लेकिन इसकी लागत 50 लाख या इससे कम है।
*जरूरत के हिसाब से किया बंगलों का जीर्णोद्वार*
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि जरूरत के हिसाब से बंगलों का जीर्णोद्धार किया जाता है। बंगले पुराने हैं और इनके जीर्णोद्धार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जीर्णोद्धार कई मंत्रियों के बंगलों का है, किसी एक बंगले का नहीं।
*पेड़ की वजह से भी चर्चा में मंत्रियों के बंगले*
पिछले छह दिनों में मध्य प्रदेश में मंत्रियों के बंगलों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं। भोपाल के तुलसी नगर और शिवाजी नगर में 29,000 पेड़ों को काटकर मंत्रियों और विधायकों के लिए आवास बनाने की योजना पर लोगों में आक्रोश है, जिसके चलते सरकार को 2,378 करोड़ रुपये की परियोजना को स्थगित कर वैकल्पिक स्थलों की तलाश करनी पड़ रही है। राज्य में मंत्रियों के बंगलों के सौंदर्यीकरण पर लगातार मोटी रकम खर्च की जा रही है।
*दो सालों में खर्च हुए हैं 13.25 करोड़ रुपए*
पिछले दो सालों में सीएम और मंत्रियों के बंगलों के सौंदर्यीकरण और रखरखाव पर सरकार ने 13.25 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है। मार्च 2023 में राज्य विधानसभा में एक लिखित जवाब में सरकार ने इसकी जानकारी दी थी। 13.25 करोड़ रुपये की राशि में बिजली के सौंदर्यीकरण कार्यों और बिजली बिलों में खर्च की गई राशि शामिल नहीं है, जो 5.13 करोड़ रुपये से अधिक थी। सामूहिक रूप से, 2020 से 2022 के बीच पीडब्ल्यूडी द्वारा सीएम और मंत्रियों के बंगलों में करीब 18.50 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह जानकारी राज्य विधानसभा में पेश की गई।
वहीं, पिछले वित्त वर्ष में एमपी सरकार ने 42,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसमें से 17,500 करोड़ रुपये (41%) नई मोहन यादव सरकार ने मार्च तक सिर्फ तीन महीनों में लिए थे।
तहसील रिपोर्टर राजेंद्र बडगैया