*यहां बीमारी बिकती है:दुकानदार एक ही तेल का कई बार उपयोग कर समोसे, भाजीबड़ा बनाते रहे, लोग खाते है, अफसर जांच तक नहीं करते*
हटा/- हटा के मां दुर्गा होटल एंड रेस्टुरेंट लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है, दुकानदार एक ही तेल का कई बार उपयोग कर समोसे, भाजीबड़ा बना रहे है और खुले में रखते है जिससे बाह से गुजरने वाले वाहनों की धूल समोसे, भाजीबडा और मिठाइयों पर पड़ती है,ग्राहकों को वही समोसे और भाजी बड़ा मिठाइयां खानी पड़ती है एवं जो मजदूर वह नाश्ता बनाने का काम करते हैं वह सुबह से ही दारू पीकर काम करते हैं जिससे लोगों के स्वास्थ पर गहरा असर पड़ रहा है लेकिन अफसरो की कुंभकरण निद्रा के कारण लोगों के स्वास्थ्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है यह हटा की कोई पहली घटना नहीं है बल्कि इसके पहले भी कई घटनाएं हटा में घट चुकी है।
यह देखा जाए कि दुकानदारों द्वारा एक बार उपयोग किए गए तेल को बार-बार तो खाद्य वस्तुएं तलने के काम में तो नहीं लिया जा रहा? यहां स्थानीय चिकित्सा विभाग की लापरवाही कहें या मजबूरी…
नाॅलेज : तेल का रंग बदल जाए तो फेंक दें
एक साथ या एक बार में कई तेल इस्तेमाल न करें। एक समय में एक ही तेल का उपयोग करें।
तेल का वास्तविक रंग बदल गया है तो उसे बिना हिचक फेंक दें।
ऑलिव ऑयल को डीप फ्राई के लिए इस्तेमाल न करें।
सस्ते तेल जो जल्दी गर्म हो जाते हैं, जिनमें आंच पर रखते ही झाग बनने लगे, उसका इस्तेमाल न करें। ये एडल्ट्रेटेड ऑयल होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं।
सभी तेल समान नहीं होते। कुछ तेल बहुत ज्यादा तापमान पर गर्म होते हैं। मसलन सोयाबीन, राइस ब्रैन, सरसों, मूंगफली, कैनोला और तिल का तेल।
बार-बार इस्तेमाल किए तेल में बनी चीजें खाने से कैंसर का खतरा
खाना बनाने में जब एक ही तेल बार-बार इस्तेमाल होता है तो उसमें फ्री रेडिकल्स बन जाते हैं। जो बीमारी का कारण बनते हैं। बार-बार तेल गरम करने से उसकी गंध खत्म हो जाती है और उसमे एंटी ऑक्सीडेंट्स भी नहीं बचते, जिसके चलते उसमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व पैदा हो जाते हैं।
इसके अलावा बार-बार गर्म करने से उसका तापमान व फेट इतना बढ़ जाता है कि धमनियों में रुकावट पैदा हो जाती है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। ऐसे में जब इस तेल को दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है तो इसमें मौजूद तत्व खाने में चिपक जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाते हैं। ऐसे खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। साथ ही एसिडिटी, दिल की बीमारी, अल्जाइमर और पार्किसंस समेत तमाम बीमारियों की आशंका बनी रहती है।
*संवाददाता, भारती अहिरवार*